भाषा भावाभिव्यक्ति एवं विचार विनिमय का साधन है। भाषा ज्ञान व भाषायी कौषल को प्राप्त किए बिना व्यक्ति अपने भाव, विचार व मनोभावों की अभिव्यक्ति सफलता पूर्वक नहीं कर पाता है। मात्र अक्षर ज्ञान से ही भाषायी कौषल को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। आधुनिक युग षिक्षा में क्रान्ति का युग है, कला संकाय में भाषा वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहा है। 1976 में महाविद्यालय की स्थापना के समय से ही कला संकाय के अन्तर्गत हिन्दी का मुख्य विषय के रूप में अध्यापन करवाया जा रहा है जिसे साहित्यिक अभिरूचि रखने वाले विद्यार्थी विषय के रूप में पढ़ते थे। धीरे-धीरे राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार और जीवन में आने वाली भाषिक समस्याओं को देखते हुए दूसरे संकायों में भी इसे अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ा कर जहां एक ओर उन्हे भाषायी कौषल प्रदान किया गया वही दूसरी ओर प्रतियेागी परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया जाने लगा। फलस्वरूप यह विषय अब विज्ञान और वाणिज्य संकायों के साथ अन्तर्सम्बिन्धत हो चुकी है।
वर्तमान समय में राष्ट्रीय उच्चतर षिक्षा अभियान के अन्तर्गत अखिल भारतीय स्तर पर षिक्षा के स्तर व गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए और पाठ्यक्रम में सम्पूर्णता लाने के लिए हिमाचल प्रदेष विष्वविद्यालय ने 2016-2017 सत्र से विष्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुरूप बी.ए. (हिन्दी) का नवीन पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसमें मुख्य विषय हिन्दी के प्रष्न-पत्रों की सामग्री निर्धारण में ज्ञान व षिक्षा के बदलते परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखा गया है। पारस्परिक एवं शास्त्रीय विषयों के साथ-साथ जो विषय आधुनिक पीढ़ी के लिए उपयोगी तथा रोचक है, उनका समावेष पाठ्यक्रम में किया गया है। वैकल्पिक विषय - लोक साहित्य, भारतीय साहित्य, पत्रकारिता, रचनात्मक लेखन, अनुवाद विज्ञान आदि से विद्यार्थी में ज्ञान की अभिवृद्धि वैष्वीकरण के सन्दर्भ में प्रासंगिकता और उपयोगिता सिद्ध करती है। साहित्य के छात्र के समुचित व सर्वागींण विकास को ध्यान में रखते हुए साहित्य की विविधमुखी विधाओं (कविता, नाटक, उपन्यास, निबन्ध, कहानी, काव्यषास्त्र) का समायोजन इस पाठ्यक्रम में किया गया है। अनिवार्य हिन्दी, कार्यालयी हिन्दी, हिन्दी भाषा व सम्प्रेषण जैसे विषयों का अध्यापन करवाकर साहित्येत्तर विद्यार्थियों में ज्ञानवर्द्धन, भाषायी क्षमता व दक्षता में अभिवृद्धि करवाना इस पाठ्यक्रम का लक्ष्य है।
कार्यक्रम परिणाम:-
स्नातक स्तर पर हिन्दी विषय में तीन वर्ष अध्ययन करने के पश्चात् विद्यार्थी:-
1. हिन्दी साहित्य का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
2. बौद्धिक, मानसिक, भाषिक विकास को प्राप्त कर सकेंगे।
3. भाषायी कौषल को प्राप्त करने में सक्षम बनेंगे।
4. साहित्य की विभिन्न विधाओं का अध्ययन कर जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ पाने में सामथ्र्य प्राप्त कर सकेंगे।
5. सृजनात्मक लेखन के प्रति प्रेरित होगें।
6. मनोभावो व सम्वेदनाओं को जागृत कर पाएगें और समाज के साथ जुड़ पाने में समर्थ बनेंगे।
7. जीवन के विविध पहलुओं, नैतिक मूल्यों, जीवन मूल्यों, आदर्षाे को समझ कर जीवन में ढाल कर समाज के प्रति कर्तव्य निष्ठ बन पाएगें।
8. साहित्यकारों, लेखकों के जीवन व लेखन से प्रभावित होकर स्वतन्त्र लेखन के लिए प्रेरित होंगे।
9. हिन्दी भाषा, व्याकरण, भाषा विज्ञान का सम्यक् ज्ञान प्राप्त कर पाएंगे और व्यावहारिक प्रयोग करने में समर्थ होंगे।
10. भावों, विचारों, सम्वेदनाओं को सम्प्रेषित कर पाएंगे।